मुझे चुदाई करने का पहला मौका 12वीं क्लास में मिला था.. तब मैं जवानी की दहलीज पर अपना पहला कदम रख चुका था।
मेरे पापा अनाज का व्यापार करते हैं। मेरे अनाज के गोदाम के पास एक मुस्लिम परिवार रहता है। उनकी एक लड़की थी रमशा.. वो एकदम गोरी.. खूबसूरत सी थी, उसकी उम्र 18 वर्ष रही होगी, उसके शरीर को खुदा ने बड़े फुरसत से बनाया था।
उसे देख कर अच्छे-अच्छे लोगों की नियत ख़राब हो जाती थी।
अभी वो अनछुई कली थी.. उसकी चूचियाँ एकदम खड़ी सी और ताजे आम सी उठी हुई थीं।
उसकी सूरत इतनी सुंदर कि जिसकी कोई हद नहीं.. पर मुस्लिम परिवार होने के कारण.. वो घर से बाहर कहीं नहीं निकलती थी।
अगर कभी बाहर जाती भी.. तो बुरके में जाती थी।
उसके मम्मी-पापा दोनों टीचर थे, दोनों सुबह 9 बजे स्कूल चले जाते थे, वो अकेले घर में रहती थी।
मैं कभी-कभी उसके घर में किराना आदि पहुँचाने जाता.. तो उससे बात कर लेता था।
जब मैं काम से गोदाम में जाता था.. तो उसे जरूर देखता था, वो मुझे देख कर मुस्कुरा देती।
मैं मन ही मन में उससे प्यार करने लगा था।
मैं कई रातों में.. उसको याद करके मुठ मारता था।
मैं उसे चोदना चाहता था.. पर कभी मौका नहीं मिला।
एक दिन की बात है.. जब मैं गोदाम में मजदूरों से गेहूँ को बोरों में पैक करवा रहा था.. तो वो वहाँ पर आ गई और मुझसे ‘हाय’ बोली..
मैंने भी जबाव में ‘हैलो’ बोला।
वो पूछने लगी- क्या कर रहे हो?
मैंने बोला- गेहूँ भरवा रहा हूँ।
वो बोली- अच्छा है..
और वो एक बोरे पर बैठ गई।
फिर मैंने पूछा- क्या हाल हैं?
वो बोली- अच्छी हूँ.. बस मन नहीं लग रहा था.. इसलिए चली आई..तुम सुनाओ?
मैंने बोला- मैं भी अच्छा हूँ।
फिर मैं चुपचाप अपना काम करवाता रहा था.. परंतु तिरछी नजर से उसे ही देख रहा था।
मैं अपने मोहल्ले का सबसे सीधा-साधा लड़का था.. पर उसे देख कर मेरा मन डोल जाता था।
वो साली चीज या कहूँ कि माल ही ऐसी थी कि किसी का भी मन डोल जाए।
मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. तब मैं मजदूरों को काम बता कर उसके बगल में बैठ गया।
मैंने उससे बातचीत को आगे बढ़ाया और बोला- सही है.. घर में अकेले-अकेले कोई भी बोर हो जाएगा। तुम तो घर से बाहर निकलती ही नहीं हो.. पर जब भी मन नहीं लगे.. तो मुझे बुला लेना, मैं आ जाया करूँगा।
फिर हम लोग बात करने लगे।
बात करते-करते कब 3 घंटे बीत गए.. पता ही नहीं चला।
तभी एक मजदूर आकर बोला- मालिक हम लोग खाना खा कर आते हैं।
मैंने ‘ओके’ बोल दिया.. वो लोग चले गए।
अब मैं और रमशा अकेले बैठे थे तब उसने पूछा- आपको भूख लगी है?
मैंने बोला- हाँ।
बोली- मैं कुछ बनाती हूँ।
यह कहकर वो घर में चली गई.. उसके पीछे-पीछे मैं भी वहाँ पहुँच गया और वहीं एक स्टूल पर बैठ गया। वो रसोई में कुछ बनाने लगी। मैं उसके पीछे बैठा.. उसकी मस्त गाण्ड देखने लगा।
हाय.. क्या मस्त उठी हुई गोल गाण्ड थी.. उसकी गाण्ड के दोनों टुकड़े.. मस्त खिले हुए थे।
वो मुझे अपनी गाण्ड देखता हुआ देख कर मुस्कुराते हुए पूछने लगी- क्या देख रहे हो?
मैं सकपका गया और अपने आप को संभालते हुए बोला- कुछ नहीं।
वो मुस्कुरा कर फिर से खाना बनाने लगी। मैं फिर से उसकी गाण्ड देखने लगा।
फिर मुझसे रहा नहीं गया.. मैं खड़ा हो गया और उसके पास पीछे से जाकर बोला- रमशा.. तुम बहुत खूबसूरत हो।
वो बोली- जानती हूँ.. पर क्या फायदा?
मैंने पूछा- मतलब?
वो बोली- कुछ नहीं।
मैंने बोला- बताओ ना.. क्या हुआ?
मेरे बहुत जिद्द करने पर बोली- खूबसूरत तो हूँ.. पर ऐसी खूबसूरती का क्या फायदा.. जिससे कोई देख नहीं सकता.. अकेले-अकेले घर में बैठी बोर होती रहती हूँ।
मैंने बोला- मैं हूँ ना.. जब भी तुम्हारा मन ना लगे.. मुझे बुला लेना।
इतना बोल कर मैंने उसे धीरे से एक चुम्बन किया.. तो वो कुछ नहीं बोली.. इससे मेरा मनोबल बढ़ गया।
मैंने उसे बोला- रमशा.. आई लव यू..
वो शरमा गई और सर झुका कर बोली-आई लव यू टू।
मैं खुश हो गया और मन ही मन में भगवान को धन्यवाद किया और उसे चुम्बन करने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी.. फिर मैं उसके होंठों को चूसने लगा, वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी।
फिर मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया.. वो मेरी जीभ चूसने लगी।
फिर काफी देर तक मैं उसकी जीभ चूसता रहा।
ऐसा करते-करते मेरे हाथ उसके मम्मों पर चले गए, मैं उसके मम्मों को दबाने लगा।उसकी अनछुए मम्मे छोटे मगर मस्त थे।
वो गर्म होने लगी.. उसके मम्मों के निप्पल टाइट होने लगे, उसका शरीर ऐंठने लगा.. वो मेरे बाल पकड़ कर जोर से चुम्बन करने लगी।
मुझे ऐसा लग रहा था कि वो मेरे मुँह से मेरे अन्दर घुस जाएगी। मेरा लंड भी एकदम लोहे जैसा टाइट होकर उसकी नाभि पर टिक गया.. क्योंकि मैं उससे लम्बा था।
फिर धीरे से मैंने उसके कुरते को उतार दिया.. उसने अन्दर एक सफ़ेद रंग की समीज पहन रखी थी, मैंने उसकी समीज भी उतार दी।
जब मैंने उसके मम्मों को देखा.. तो मेरे होश उड़ गए.. इतने गोरे और मस्त मम्मे थे कि मैं सब कुछ भूल गया और सिर्फ उसके मम्मे देखता रहा।
मुझे इस तरह से घूरता देख कर वो शरमा गई और अपने दोनों हाथों से उन्हें ढकने लगी।
फिर मैं दोगुने जोश के साथ उसे चुम्बन करने लगा।
मैंने उसके हाथ हटाए और मम्मों को दबाने लगा।
धीरे से उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और सहलाने लगी।
मैंने अपनी पैंट की जिप खोली और लंड निकाल कर उसके हाथ में दे दिया।
मेरे लंड का साइज़ देख कर वो डर गई एकदम से उसके मुँह से निकला- हाय अल्लाह..
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने बोला- इतना बडा लंड?
मैं मुस्कुरा कर फिर से उसे चुम्बन करने लगा।
फिर मैंने उसके पजामे का नाड़ा खींच दिया.. उसका पजामा नीचे गिर गया।
मैंने उसकी चड्डी पर हाथ रखा.. तो वो गीली हो चुकी थी।
मैंने उसकी चड्डी उतार दी और उसकी दहकती हुई फूली चूत सहलाने लगा. अभी उसके ज्यादा बाल नहीं आए थे, मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी दहकती गर्म चूत में डाल दी।
उसे थोड़ा दर्द हुआ.. वो हल्की सी चीख के साथ मुझसे अलग हो गई।
मैं डर गया.. वो बोली- दर्द होता है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. पहली बार में ऐसा होता है.. बाद में नहीं होगा।
इतना बोल कर मैं फिर से उसके मम्मों को चूसने में लग गया। अब मैं लगातार उसे पूरे चेहरे और मम्मों पर चुम्बन करते जा रहा था और उसकी कसी हुई चूत में ऊँगली डाल कर हिलाए जा रहा था।
वो फिर से गर्म होने लगी.. उसने शर्माते हुए बोली- मुझे लंड चूसना है।
मैंने खुश हो कर उसको बैठा दिया और तुरंत अपना लंड उसके मुँह में दे दिया.. वो बड़े प्यार से मस्त होकर उसे चूसने लगी।
फिर मैंने 69 होकर उसकी चूत चाटना चालू कर दी। उसकी चूत मुझे पूरी जिंदगी याद रहेगी.. मस्त टाइट चूत थी साली की.. उसकी चूत की फांकों के अन्दर पूरा गुलाबी रंग था। पूरे दस मिनट तक हम एक-दूसरे को चाटते रहे।
अब उसकी चूत से गर्म नमकीन पानी निकलने लगा। मस्त होकर मैंने पूरा चाट कर साफ कर दिया और फिर चाटने लगा। फिर मुझे लगा अब मैं झड़ जाऊँगा.. तो उसके मुँह से अपना लंड निकाल लिया और सीधा होकर मैं उसकी चूचियों को चूसने लगा।
वो बोली- अब और मत तड़पाओ.. चूत में खुजली जोर से हो रही है.. इसे चोद डालो प्लीज।
असल में मैंने पिछली रात में ही इसे याद कर तीन बार मुठ मारी थी.. इसलिए मैं अब तक टिका रहा था।
मैं भी देर ना करते हुए उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा.. पर नाकाम रहा।
फिर मैंने उससे पूछा- मक्खन है क्या?
उसने तुरंत उठ कर मक्खन निकाला.. मैंने थोड़ा सा मक्खन अपने लंड पर लगाया और थोड़ा उसकी चूत पर मला। अब मैं फिर से लौड़ा डालने की कोशिश करने लगा।
इस बार मैं कामयाब रहा.. पर जैसे ही लंड का सुपारा चूत में घुसा.. वो चीखने लगी।
मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह लगा दिया और फिर से जोर से धक्का लगाया।
तो वो रोने लगी, बोली- प्लीज़ निकालो इसे.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा..
अब तक मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।
मैंने फिर से जोर लगाया तो अबकी बार पूरा घुस गया.. पर वो बेहोश हो चुकी थी। मैं घबरा गया.. वहाँ पर भरा हुआ रखे गिलास से पानी से छींटे मारे.. तो वो होश में आई।
मैंने उसे चुम्बन करना शुरू किया.. कुछ देर में धीरे-धीरे उसका दर्द कम हुआ.. तो मैं लंड आगे-पीछे करने लगा.. अब वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब मैं उसके मम्मे मसलते हुए चोदने लगा, उसे भी दर्द के साथ मजा आने लगा.. वो मजे में बड़बड़ा कर बोलने लगी- चोद डालो मुझे.. आज फाड़ डालो इस चूत को.. मादरचोदी बहुत दिन से तुमसे चुदने के लिए परेशान कर रही थी.. चोद डालो इसे.. फाड़ दो.. आज इस चूत को भोसड़ा बना दो..
उसकी जोशीली और कामुक बातें सुन कर मैं दोगुने जोश में आ गया और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी।
वो भी बार-बार चूतड़ों को उछाल कर मेरा साथ देने लगी.. फिर उसने मुझे जोर से पकड़ लिया.. वो झड़ रही थी।
उसके झड़ने के बाद मैं भी झड़ने वाला था.. मैंने उससे बोला- मेरा निकलने वाला है।
यह सुनकर उसने तुरंत घबरा कर मेरा लंड अपनी चूत से निकाल दिया।
मैंने कहा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- मुठ मार कर बाहर गिरा लो।
मैंने कहा- नहीं.. मैं अभी गाण्ड मारूँगा।
उसने बोला- नहीं..
मैं जबरदस्ती उसकी गाण्ड में लंड डालने लगा.. तो उसने मेरे पैर पकड़ लिए.. बोलने लगी- अल्लाह के लिए छोड़ दो.. आज पूरी चूत और शरीर दर्द कर रहा है.. दूसरे दिन मार लेना.. आज छोड़ दो प्लीज़
पर मैंने बिना कुछ सुने.. उसे पलटा दिया और उसकी गाण्ड में लंड डालने लगा।
बड़ी मुश्किल से लंड घुस पाया.. वो दर्द के मारे रोने लगी.. पर मुझे मजा आ रहा था।
थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया।
फिर मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे चुम्बन करने लगा और बोला- आज दर्द कर रहा है.. पर देखना.. कल से मुझसे भी ज्यादा तुम्हें मजा आएगा।
तभी हमें पता ही नहीं चला कि कोई हमें देख रहा है.. बाहर खड़ा मेरा नौकर बाहर सब देख रहा था।
उसे देख मेरे होश उड़ गए।
मैंने तुरंत कपड़े पहने और बाहर आ गया। मैंने उसे अपने जेब से 100 का नोट देते हुए किसी को नहीं बोलने को कहा।
उसने झट से पैसे रख लिए और बोला- ये तो मालिक को नहीं बताने का टिप है परंतु मैं भी`चोदूँगा।
अब मैं हतप्रभ था..
मेरे उस नौकर का नाम राहुल था.. वह देखने में ठीक-ठाक था.. पर वो महा-मादरचोद आदमी था, उसने बहुत औरतों को चोदा था.. उसे चोदने का बहुत तजुर्बा था।
मैंने उसे किसी को हमारी चुदाई के बारे में किसी को नहीं बताने के लिये कहा था.. परंतु बदले में वो भी रमशा को चोदने का डिमांड करने लगा।
मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया… साले की कोई औकात तो है नहीं.. मादरचोद रमशा जैसी परी को चोदने की सोच रहा था.. पर मैंने मना कर दिया तो वो धमकी देने लगा।
फिर मैंने कहा- ठीक है.. मैं सोच कर कल बताता हूँ.. तब तक ये 100 रुपए रख और अपनी मुँह बंद रखना।
फिर शाम को मैं जल्दी से दुकान बंद करके रमशा के घर पहुँचा.. उसके मम्मी-पापा जॉब से वापस आ चुके थे।
मैंने उन्हें सलाम किया.. उन्होंने मुझे बैठाया और रमशा के अब्बा ने मुझसे पूछा- बेटा कैसे हो? आजकल काम में बहुत बिजी रहते हो!
मैं बोला- क्या करूँ अंकल.. आजकल गेहूँ का सीजन चल रहा है.. इसलिए थोड़ा बिजी रहता हूँ।
तब तक रमशा चाय बना कर ले आई.. मैंने चाय का कप उठा लिया।
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
जब वह चाय देकर वापस जाने लगी.. तो उसकी चाल लड़खड़ा रही थी.. मैं समझ गया कि इसे अभी भी चूत में दर्द हो रहा होगा।
फिर मैं अंकल से बात करने लगा.. थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने कहा- अब मैं चलता हूँ।
फिर मैंने आँखों से उसे नीचे आने को बोला तो वो इशारे से बोली- नहीं.. नीचे नहीं आ सकती.. अब्बू को शक हो जाएगा.. कल मिलते हैं।
मैं मन मारकर वापिस आ गया।
मैं पूरी रात उसके ही बारे में सोचता रहा।
सुबह फिर मजदूरों के साथ गोदाम में गेहूँ पैक करवाने पहुँच गया।
करीब 9 बजे उसके मम्मी-पापा जॉब पर जाने लगे.. मैंने उन्हें देख मुस्कुरा कर सलाम किया।
वो चले गए.. फिर थोड़ी देर में रमशा नहा कर बाहर आई।
मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया.. वह गुलाबी रंग का सूट पहने हुए थी, उसके बाल खुले हुए थे.. वो एकदम परी जैसी लग रही थी।
मैं उसके पास गया और ‘हाय’ किया और बोला- आज तुम बहुत बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।
उसने बोला- थैंक यू…
फिर मैंने उसे राहुल के बारे में बताया उसने साफ़ मना कर दिया। फिर काफी समझाने पर वो मान गई.. बोली- आज भी थोड़ा दर्द कर रहा है.. उसे कल बुलाना।
मैं उसके साथ उसके घर में उसके साथ घुस गया और उसे चुम्बन करने लगा। वो भी साथ दे रही थी.. फिर हमने चुदाई की।
फिर मैं उसे चोद कर वापस गोदाम में आ गया और अपना काम पूरा करके वापस घर आ गया।
दूसरे दिन कोई काम नहीं था.. पर मैंने पापा से बोला- आज गोदाम में 2-3 घंटे का काम है.. मैं राहुल को लेकर गोदाम में जा रहा हूँ।
उन्होंने कहा- ठीक है.. जल्दी आना।
मैंने बोला- ओके।
मैं राहुल के साथ गोदाम में आ गया।
फिर हम लोग रमशा के घर पहुँचे.. वो नहा रही थी।
जब मैंने आवाज लगाई तो वो झट से तौलिया लपेट कर बाहर आ गई।
वो तौलिए में क्या गजब की सेक्सी लग रही थी.. उसके शरीर से मस्त भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी.. मैं तो मदहोश होकर उसे चुम्बन करने लगा।
वो बोली- थोड़ा सब्र कर लो.. मैं भागी थोड़े ही जा रही हूँ.. आराम से जी भर कर चोदना।
यह बोल कर वो अन्दर चली गई। मैंने देखा राहुल ने अपनी जेब से एक गोली निकाल कर खा ली।
मैंने उससे पूछा- किस चीज की दवा खा रहे हो?
तो उसने बताया- यह ज्यादा देर तक लंड को खड़ा रखती है।
अभी हम लोग बात ही कर रहे थे कि रमशा चाय ले कर आ गई, उसने आसमानी रंग की पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी.. जिसके अन्दर काले रंग का उसकी पैंटी-ब्रा साफ़ दिख रही थी।
मेरा मन तो नहीं कर रहा था कि राहुल को चोदने दूँ.. पर अगर मना करता, तो वो सब पापा को बता देता.. इसलिए मैं मजबूर था और रमशा भी मजबूरी में ही उससे चुदवाने को तैयार हुई थी।
राहुल ने चाय की प्लेट नीचे रख कर रमशा का हाथ पकड़ा और अपनी गोदी में खींच कर बैठा लिया। उसका लंड अब खड़ा होने लगा.. वो रमशा को चुम्बन करने लगा और साथ में हाथ से उसके दूध दबाने लगा।
मैं ये देख कर गुस्सा हो गया.. पर मैंने खुद पर कंट्रोल किया और बोला- मादरचोद पहले चाय तो पीले.. फिर आराम से करना
उसने झट से चाय उठाई और पूरी चाय एक साँस में झट से पी गया और फिर रमशा को चुम्बन करने लगा।
मैं बेबसी से चुपचाप चाय पीते सब देख रहा था.. वो मस्त तरीके से रमशा को चुम्बन कर रहा था।
रमशा भी अब गर्म होने लगी और मस्त होकर वे एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।
राहुल ने नाईटी के गले से अन्दर हाथ डाल कर ऊपर से ही उसका एक मम्मा बाहर निकाल लिया और दबाने लगा, फिर वो उसके मम्मे को दबा-दबा कर चूसने लगा।
रमशा के मुँह से मादक आवाजें निकलने लगीं।
‘आहह.. आह आह्ह.. इसस.. कहह..’
वो उत्तेजना में कामुक आवाजें निकालने लगी।
यह देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया।
राहुल ने झट से उसकी नाइटी को उतार दिया और बिना ब्रा उतारे ऊपर से ही उसके दूध निकाल कर चूसने लगा।
वो ‘आहें’ भरने लगी.. उसके मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं।
‘आह्ह.. अअह्ह.. इह्ह.. स्स्स्स..’
उसकी पैंटी पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी।
फिर राहुल ने उसे कंधे पर उठाया और उसके बिस्तर पर पटक दिया।
राहुल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर उसके पास बैठ कर उसके पैरों को चूमना शुरू किया.. राहुल उसके तलवों को अपनी जीभ से सहलाने लगा, वो जोर-जोर से मादक आवाजें निकालने लगी।
थोड़ी देर तक तलवे सहलाने के बाद राहुल धीरे-धीरे पैर चूमता हुआ रमशा की चूत की ओर बढ़ने लगा और चूत से हो कर नाभि में जीभ से सहलाने लगा।
रमशा अब पूरे जोश में आकर उससे चिपक गई और राहुल के सर को ऊपर करके चुम्बन करने लगी।
फिर रमशा ने राहुल को पलट दिया और उसके ऊपर चढ़ गई, राहुल ने उसे फिर नीचे पटका और ऊपर आ गया।
इस ऊपर-नीचे के चक्कर में दोनों बिस्तर से नीचे गिर गए, फिर भी दोनों फर्श पर भी वैसे ही करते रहे।
थोड़ी देर बाद राहुल ने उसे गोद में उठा कर फिर से बिस्तर पर डाला और फिर उसकी पैंटी उतार कर मेरे ऊपर फेंक दिया। उसकी पैंटी पूरी गीली थी.. शायद वो एक बार झड़ चुकी थी।
फिर राहुल अपनी करिश्माई जीभ से उसकी चूत की फांकों को सहलाने लगा। रमशा जोश से भर कर पगलाई हुई थी।
दोनों आपस में इतने मदहोश थे कि उन्हें मेरा याद ही नहीं रहा।
मेरा लंड पूरी तरह से टाइट हो चुका था उसमें से लार जैसा माल टपकने लगा था।
मैं उठा और अपना लंड रमशा के मुँह में डाल दिया.. वो उसे चूसने लगी। इधर राहुल ने उसकी चूत में ऊँगली और जीभ डाल-डाल कर उसकी चूत से गर्म पानी निकाल दिया और सारा नमकीन पानी पी गया और चूत को भी चाट-चाट कर साफ कर दिया।
फिर रमशा ने मुझे हटा कर.. उसकी चड्डी उतार दी और उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
उसका लंड मेरे से छोटा था.. पर मोटा था।
वो मस्त होकर लंड चूसे जा रही थी।
राहुल भी 69 की अवस्था में आ कर.. फिर से उसकी चूत चाटने लगा।
काफी देर बाद जब राहुल को लगा कि वो झड़ जाएगा.. तो उसने अपना लंड मुँह से निकलवा लिया और फिर से चुम्बन करने लगा।
तब रमशा बोली- राहुल अब देर मत करो जल्दी से अपना लंड मेरे चूत में डाल दो।
उसने भी बिना देर किए रमशा की चूत में अपना लंड पेल दिया.. चूत बहुत रसीली थी.. इसलिए थोड़ा सा जोर लगाने पर ही लंड अन्दर घुस गया और फिर वह रमशा की चूचियों को दबाते हुए.. चुम्बन करते हुए.. लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।
रमशा भी मादक सीत्कार निकालते हुए अपनी कमर को ऊपर-नीचे करते हुए चुदवाने लगी।
काफी देर चोदने के बाद राहुल ने उसे कुतिया की तरह बना दिया और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा।
फिर उसके बाद रमशा उसके लंड के ऊपर बैठ कर चुदवाने लगी, कुछ ही धक्कों में वो झड़ गई।
वो बोली- मैं 4 बार झड़ गई मादरचोद.. तेरा कितने देर बाद गिरेगा?
तो वो बोला- माँ की लौड़ी.. थोड़ी देर और चुद जा.. मैं भी अब बस झड़ने ही वाला हूँ।
वो बोली- मैं तो थक गई हूँ.. अब तू ऊपर आजा और जल्दी से अपना पानी झाड़ ले।
राहुल ने उसको कुतिया बनने को बोला और उसकी गाण्ड में लौड़ा डालने लगा.. तो वो मना करने लगी.. पर वो नहीं माना और जबरदस्ती डालने लगा।
रमशा थक चुकी थी.. इसलिए वो ज्यादा विरोध नहीं कर पाई, राहुल उसकी गाण्ड में जोर-जोर से धक्का मारने लगा और झड़ गया।
फिर राहुल रमशा से चिपक गया।
मेरी तो झांटें सुलग ही रही थीं.. तो मैंने उसे जल्दी से अलग किया और रमशा को ग्लूकोज पीने को दिया और राहुल से बोला- अब तू दुकान पर जा और पापा मेरे बारे में पूछे तो बोलना कि छोटे मालिक थोड़ी देर से आयेंगे।
वो कपड़े पहन कर चला गया.. तब रमशा मेरी गोद में सर रख कर बोली- जान.. तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगे ना।
मैंने बोला- कभी नहीं।
मैं उसके साथ लेट गया.. फिर मैंने कॉफ़ी बनाई.. फिर हम-दोनों ने कॉफ़ी पी।
कुछ देर बाद उसकी थकावट थोड़ी कम हुई.. फिर उसके साथ मैंने चुदाई की और फिर मैं घर चला आया।
शाम को मैंने दुकान बंद की.. और राहुल से बोला- अब तो किसी से नहीं बोलोगे ना?
उसने बोला- नहीं.. पर आज मुझे बहुत मजा आया। मैं आपको भी इसके बदले में एक बार जरुर एक सीलपैक वाली लड़की की सील तोड़ने का मौका दूँगा। यह मेरा वादा है..
मैं यह सुनकर खुश हुआ.. मैंने उसे गले लगाया और उससे विदाई ली।
फिर जब भी मौका मिलता.. मैं और रमशा मिलते और चुदाई करते।
कुछ दिनों बाद रमशा की अम्मी का ट्रांसफर दूसरी जगह हो गया और वो अम्मी के साथ वहाँ से चली गई।
साला राहुल भी वादे का पक्का निकला उसने मुझे अपनी साली की सील तोड़ने का मौका दिया।
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